Friday 14 September 2018

आर्इटी शेयरों के भाव तीन साल के ऊंचे स्तर पर

आपको क्या करना चाहिए?


रुपये की कमजोरी ने जहां कर्इ कंपनियों के पसीने छुड़ा रखे हैं, वहीं कुछ को इसने खूब फायदा पहुंचाया है. आर्इटी सेक्टर की कंपनियों को रुपये की कमजोरी से फायदा हुआ है. इस क्षेत्र की कर्इ छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों के शेयरों में 52 
हफ्तों के ऊंचे स्तर पर कारोबार हो रहा है. इसने इनके ट्रेलिंग प्राइस-टू-अर्निंग रेशियो (पी/र्इ) या यूं कहें कि वैल्यूएशन को तीन साल के शिखर पर पहुंचा दिया है.

पी/र्इ रेशियो यानी मूल्य और आय का अनुपात किसी शेयर में निवेश करने का फैसला लेने में मदद करता है. इसकी मदद से आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी शेयर के भाव बढ़ने की कितनी संभावना है. 


देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के शेयरों में 21.7 के तीन साल के औसत पी/र्इ के मुकाबले 28.7 पर कारोबार हो रहा है. इंफोसिस और विप्रो सहित अन्य टॉप आर्इटी स्टॉक भी अपने तीन साल के औसत से 10  फीसदी ज्यादा पर कारोबार कर रहे हैं. 



माइंडट्री भी अपने तीन साल के औसत पी/र्इ 21.4 से अधिक पर कारोबार कर रही है. इसके एक माह का औसत पी/र्इ बढ़कर 29.1 पर पहुंच गया है. इसी तरह एमफेसिस भी अपने तीन साल के औसत पी/र्इ से 61 फीसदी ज्यादा पर कारोबार कर रही है. माइंडट्री और एमफेसिस दोनों ही मध्यम आकार की आर्इटी कंपनियां हैं. 
रुपये की कमजोरी के अलावा टीसीएस और एमफेसिस जैसी कंपनियों की ओर से शेयर बायबैक की पेशकश के कारण भी निवेशकों को ये कंपनियां लुभा रही हैं. कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं. आप इसे आईपीओ का उलट भी मान सकते हैं. कंपनी कई वजहों से बायबैक का फैसला लेती है. सबसे बड़ी वजह कंपनी की बैलेंसशीट में अतिरिक्त नकदी का होना है. 

कंपनी के पास बहुत ज्यादा नकदी का होना अच्छा नहीं माना जाता है. इससे यह माना जाता है कि कंपनी अपनी नकदी का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. शेयर बायबैक के जरिए कंपनी अपनी अतिरिक्त नकदी का इस्तेमाल करती है. 


गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य में गुरुवार को बाजार बंद थे. बुधवार को रुपया लुढ़ककर 72.19 के स्तर पर पहुंच गया था. 2018 की शुरुआत से इसमें 11.5 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. 

रुपये के कमजोर होने से निर्यातकों को फायदा होता है. भारतीय मुद्रा में एक फीसदी गिरावट से आर्इटी कंपनियों का आपरेटिंग मार्जिन 0.35-0.40 फीसदी बढ़ जाता है.

हालांकि, आर्इटी कंपनियों का मौजूदा वैल्यूएशन काफी ज्यादा दिख रहा है, लेकिन निवेशक इन कंपनियों में निवेश जारी रख सकते हैं. कारण है कि निकट भविष्य में रुपये में और गिरावट आने की आशंका है. 

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